एक सुबह,
दो जीवन,
तीन बचपन,
चार जवानी,
पाँच बंधन,
छह संघर्ष,
सात अनुभव,
आठ स्रजन,
नव विसर्जन,
फिर एक शाम, सुबह के नाम।
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Added by: Arun_Tiwari |
Date: 2016-02-11
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खुशी और गम मे हम आँखो से निकल आएँगे,
एक दोस्त की ही तरह साथ हम निभाएँगे।
रखें याद जब तलक आपकी मर्ज़ी,
हम हमेशा इसी तरह से गुनगुनाएँगे।
आप गुस्से मे रहें जब भी कभी और कहीं,
आँखो मे पहले हम ही तो उतर आएँगे।
हसेंगे आप जब कभी भी खिलखिलते हुए,
आँखो में हम चमक के साथ झिलमिलाएँगे।
जब कभी होंगे अकेले मे गमगीन ज़रा,
छ्लक के आँखो से नमकीन स्वाद लाएँगे।
लाख कोशिश भी कीजिएगा मन को बहलाने की,
साथ हम हैं ये अहसास भुला ना पाएँगे।
खुश रहें आप अरुण,हो ना हमारी भी कमी,
हम तो आँखो मे हैं जब चाह
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Views: 919 |
Added by: Arun_Tiwari |
Date: 2016-02-11
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